मृतक आश्रित कोटे से भर्ती दरोगाओं/इंस्पेक्टरों को मिलेगा ट्रेनिंग पीरियड का पूरा वेतन
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम की दलील पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, प्रमोशन में भी जुड़ेगा ट्रेनिंग का समय
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के मृतक आश्रित कोटे के तहत वर्ष 2010–11 बैच में भर्ती हुए दरोगाओं और इंस्पेक्टरों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि इन पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग अवधि का पूरा वेतन, सातवें वेतन आयोग के सभी लाभ (पुनरीक्षित वेतनमान), एरियर सहित प्रदान किए जाएं और उनकी ट्रेनिंग अवधि को सेवा अवधि में जोड़कर वेतनवृद्धि-प्रमोशन के लाभ भी दिए जाएं।
दो माह में आदेश पालन करने के निर्देश
जस्टिस अजीत कुमार की एकल पीठ ने निर्देशित किया है कि
अपर पुलिस महानिदेशक (कार्मिक एवं स्थापना), डीजीपी मुख्यालय, लखनऊ
दो माह के भीतर नियम एवं कानून के तहत आवश्यक आदेश पारित करें। यह निर्देश रामचन्द्र दूबे बनाम राज्य सरकार मामले में 61 पुलिस इंस्पेक्टरों द्वारा सामूहिक रूप से दायर याचिका पर दिया गया।
अदालत ने यह भी कहा कि आदेश स्पेशल अपील संख्या 169/2020 — आलोक कुमार सिंह व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में 08.09.2021 को दिए गए निर्णय के अनुरूप ही पारित किए जाएँ।
याचिका में कहा गया कि—
समकक्ष बैच के अन्य दरोगा/इंस्पेक्टरों को ट्रेनिंग अवधि का पूरा वेतन और भत्ते दिए गए,
जबकि मृतक आश्रित कोटे से चयनित इन याचियों को केवल स्टाइपेण्ड प्रदान किया गया,
उनकी ट्रेनिंग अवधि को सेवा रिकॉर्ड में भी नहीं जोड़ा गया,
जिसके कारण उन्हें वेतनवृद्धि और प्रमोशन में नुकसान हुआ।
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यह व्यवहार समानता के अधिकार का उल्लंघन है और यह कि हाईकोर्ट पहले ही समान मामले (आलोक कुमार सिंह केस) में सिद्धान्त निर्धारित कर चुका है कि सीधी भर्ती और मृतक आश्रित—दोनों को ट्रेनिंग अवधि का पूरा वेतन मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज की थी राज्य की SLP
राज्य सरकार ने आलोक कुमार सिंह मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध एसएलपी दाखिल की थी,
जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
इसके बाद 29 मार्च 2022 को सरकार ने आदेश जारी कर समकक्ष दरोगाओं/इंस्पेक्टरों को ट्रेनिंग अवधि का वेतन स्वीकृत कर दिया था।
याचियों का कहना था कि समकक्ष अधिकारियों को लाभ देने के बावजूद उनके साथ सौतेला व्यवहार करते हुए अभी तक कोई लाभ नहीं दिया गया।
लालबाबू शुक्ला केस का हवाला
याचियों ने हाईकोर्ट के ही लालबाबू शुक्ला व अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट ने स्पष्ट किया है
ट्रेनिंग अवधि जोड़कर प्रमोशनल पे-स्केल और वेतनवृद्धि दी जानी चाहिए।
अदालत का स्पष्ट आदेश
हाईकोर्ट ने कहा कि—
ट्रेनिंग अवधि का पूरा वेतन व भत्ते दें
ट्रेनिंग अवधि सेवा अवधि में जोड़ें
सातवें वेतन आयोग के सभी लाभ, एरियर सहित दें
दो माह में नियमानुसार निर्णय लेकर आदेश जारी करें
निष्कर्ष
इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह आदेश उत्तर प्रदेश पुलिस के हजारों मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्त कर्मियों के लिए राहत लेकर आया है। निर्णय के बाद अब सभी प्रभावित अधिकारियों को वेतन, एरियर, वेतनवृद्धि और सेवा-लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


