ग्रेटर नोएडा में अधिग्रहीत जमीन की अवैध बिक्री का बड़ा खुलासा, मुख्य आरोपी लोकेंद्र भाटी गिरफ्तार
Writen by: Mukul tiwari
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अधिग्रहीत जमीन को फर्जी कागज़ातों के आधार पर बेचने के सनसनीखेज मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए स्थानीय निवासी लोकेंद्र भाटी को गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला लगभग 500 करोड़ रुपये मूल्य की भूमि से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसमें प्राधिकरण की जमीन को निजी संपत्ति बताकर रजिस्ट्री कर दी गई थी।
कैसे हुआ घोटाले का खुलासा
जानकारी के मुताबिक, बिसरख गाँव में स्थित करीब 75,500 वर्गमीटर जमीन को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2008 में अधिग्रहीत कर लिया था। इस जमीन का बड़ा हिस्सा—करीब 51 हजार वर्गमीटर—पूरी तरह प्राधिकरण के नाम दर्ज था।
इसके बावजूद, इस जमीन की रजिस्ट्री कुछ लोगों के नाम करवाकर उसे निजी प्लॉट की तरह बेचा जाता रहा।
स्थानीय स्तर पर लगातार मिल रही शिकायतों और मीडिया में प्रकाशित खबरों के बाद प्राधिकरण हरकत में आया और पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग की।
जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर के आदेश पर की गई जांच में पाया गया कि:
अधिग्रहीत जमीन को निजी संपत्ति बताकर कई बार रजिस्ट्री कराई गई।
भूमि दस्तावेज़ों में सालों तक हेरफेर होती रही।
कुछ अधिकारी और बाहरी लोग मिलकर जमीन को गलत तरीके से बेचते रहे।
जमीन का वास्तविक स्वामित्व प्राधिकरण के पास होने के बावजूद फर्जी कागज़ात चलन में थे।
इन तथ्यों की पुष्टि के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर मुख्य आरोपी लोकेंद्र भाटी को गिरफ्तार कर लिया।
कोर्ट के निर्देश पर हुई कार्रवाई
मामला कोर्ट में पहुंचा तो न्यायालय ने पूरी प्रक्रिया की विस्तृत जांच कराने का निर्देश दिया।
जांच रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और सरकारी भूमि को नुकसान पहुँचाने जैसे गंभीर आरोपों में कार्रवाई शुरू की।
जमीन की कीमत 500 करोड़ के करीब
प्राधिकरण के मुताबिक, जिस जमीन की अवैध रूप से खरीद-फरोख्त की गई, उसकी बाज़ार कीमत लगभग 500 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह इलाका तेजी से विकसित हो रहे सेक्टरों के पास स्थित है, जिसके कारण जमीन का मूल्य काफी अधिक है।
जांच आगे बढ़ेगी, और भी खुलासे संभव
जिलाधिकारी ने मामले की अगली जांच उपजिलाधिकारी (SDM) गौतमबुद्ध नगर को सौंप दी है।
प्रशासन का कहना है कि पूरी साजिश में और लोगों की भूमिका हो सकती है।
जांच टीम ने संकेत दिए हैं कि—
कुछ और नाम जल्द सामने आ सकते हैं,
कुछ सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है,
आने वाले दिनों में और गिरफ्तारी हो सकती है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
गाँव के निवासियों का कहना है कि वर्षों से वे इस जमीन से जुड़ी गड़बड़ियों की शिकायत कर रहे थे, लेकिन कार्रवाई अब जाकर हुई है।
प्रशासन के सख्त रुख के बाद ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि पूरे घोटाले का सच सामने आएगा और दोषियों को सज़ा मिलेगी।

